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क्या कर्नाटक और उत्तर-पूर्व के राज्य काले धन को सफेद करने वाली बड़ी जगहें बन गए हैं?

गुरुवार को सामने आईं तीन बड़ी खबरें संकेत देती हैं कि नोटबंदी के बाद इन राज्यों में बड़े स्तर पर काले धन को सफेद करने का काम हो रहा है


क्या पश्चिम बंगाल सहित उत्तर-पूर्व के राज्य और कर्नाटक काले धन को सफेद करने वाली बड़ी जगहें बन गए हैं? गुरुवार को जो तीन बड़ी खबरें सामने आई हैं, उनसे तो कुछ ऐसे ही संकेत मिलते हैं.
पहली खबर बताती है कि नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री जन-धन योजना के खातों में जमा किए जाने वाले पैसे में 30 गुना बढ़ोतरी हुई है. केंद्र सरकार ने आठ नवंबर को 500 और 1,000 के नोट बंद करने की घोषणा की. सूत्रों के मुताबिक इसके बाद नौ नवंबर से अब तक करीब 21,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त रकम जन-धन खातों में जमा की जा चुकी है. अाठ नवंबर तक इन खातों में 45,636.61 करोड़ रुपए जमा थे,. लेकिन 23 नवंबर तक यह रकम बढ़कर 66,636 करोड़ रुपए हो चुकी थी. सूत्र बताते हैं कि जन-धन खातों में सबसे ज्यादा रकम पश्चिम बंगाल में बढ़ी है और इसके बाद कर्नाटक में. हालांकि इस रकम का विवरण आना अभी बाकी है. उधर, सरकार ने कहा है कि जन-धन खातों का इस्तेमाल काले धन को सफेद करने में न हो, इसके लिए उसने अपनी सतर्कता बढ़ा दी है.




पूर्वोत्तर पहुंचता काला धन
उधर, एक दूसरी खबर के मुताबिक उत्तर-पूर्व के कई राज्यों में देश के अलग-अलग हिस्सों से काली कमाई का पैसा पहुंच रहा है. इसकी वजह यह है कि नगालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम की कई जनजातियों को आयकर से पूरी तरह छूट मिली हुई है. असम की नॉर्थ कछार और मीकिर हिल्स, मेघालय की खासी, गारो और जैंतिया हिल्स तथा सिक्किम, लद्दाख एवं जम्मू-कश्मीर में रहने वाली जनजातियों को भी ऐसी ही छूट हासिल है. अपने राज्य के किसी भी हिस्से से किसी भी रूप में होने वाली आमदनी या देश में कहीं से प्राप्त होने वाले लाभांश या ब्याज पर इन जनजाति समूहों के लोगों से आयकर नहीं लिया जाता. काले कारोबारी इसी का लाभ उठा रहे हैं.
ऐसे ही एक मामले में पुलिस ने बुधवार को नगालैंड के कारोबारी अनातो झिमोमी को पकड़ा है. अनातो नगालैंड के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके नेफ्यू रियो के दामाद हैं. नेफ्यू रियाे फिलहाल नगालैंड का प्रतिनिधित्व करने वाले इकलौते लोक सभा सदस्य हैं और वे भाजपा के नेतृत्व वाले सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ हैं. अनातो के पिता खेकिहो झिमोमी भी नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) की ओर से राज्य सभा के सदस्य रह चुके हैं.
खबर के मुताबिक, पुलिस ने अनातो के पास से 3.5 करोड़ रुपए जब्त किए गए हैं. उन्हें यह रकम 500 और 1,000 के पुराने नोटों की शक्ल में विशेष विमान से दीमापुर भेजी गई थी. दीमापुर हवाई अड्‌डे पर मंगलवार को उन्होंने सीआईएसफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) के अफसरों को आयकर से मिलने वाली छूट संबंधी प्रमाण पत्र दिखाकर यह रकम हासिल कर ली थी. हालांकि सीआईएसएफ ने इसकी सूचना आयकर विभाग को भी दे दी थी. इसके बाद हुई जांच में यह मामला सामने आया अौर उन्हें पकड़ लिया गया.




आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक, अनातो ने पूछताछ के दौरान माना है कि 12, 14 और 21 नवंबर को भी इसी तरह उनके पास हरियाणा से काफी रकम आई थी. उन्होंने यह भी माना कि इस रकम का बड़ा हिस्सा आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रॉस सैटलमेंट) के जरिए वे उन कारोबारियों के खातों में जमा करा चुके हैं, जिन्होंने यह पैसा उन्हें भेजा था. इसके बाद हरियाणा के हिसार के ऐसे ही एक कारोबारी अनिल सूद आयकर विभाग की पूछताछ के दायरे में आए हैं. अनिल एक प्रिंटिंग एवं पैकेजिंग फर्म के मालिक हैं.
कर्नाटक में भी काले को सफेद करने का खेल
तीसरा मामला कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू का है. बताया जा रहा है कि यहां छोटे स्तर पर चलने वाली कई मुद्रा विनिमय (करेंसी एक्सचेंज) एजेंसियां काले कारोबारियों को अमेरिकी डॉलर, यूरो और ऑस्ट्रेलियन डॉलर से अपने 500 और 1,000 के पुराने नोट बदलने की सुविधा दे रही हैं. हालांकि इसकी विनिमय दर (एक्सचेंट रेट) उन्होंने अपने हिसाब से तय कर रखी है. मसलन, उत्तर बेंगलुरू की एक एजेंसी पुराने नोटों के बदले में एक अमेरिकी डॉलर 90 रुपए तक दे रही है. जबकि नए नोटों के बदले में इसकी कीमत 71.50 रुपए लगाई जा रही है. ऐसे ही, पुराने नोटों के बदले एक यूरो 100 रुपए और नए नोटों के एवज में 76 रुपए तक मिल रहा है. पुराने नोटों से बदलने पर ऑस्ट्रेलिया के एक डॉलर की कीमत 64 रुपए और नए नोटों से 52.50 रुपए लगाई जा रही है.
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